हमने 2022 को अलविदा कह दिया है। उम्मीद है कि आप का 2022 अच्छा गुजरा होगा, महिना और साल आते जाते रहते है- यह आना और जाना तब तक चलता रहेगा जब तक चाँद और सूर्य की यात्रा चलती रहेगी। एक समय आएगा जब विश्व व्यवस्था हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। बाकी नाम अल्लाह का होगा।
आइए! संक्षेप में पिछले साल घटी कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं।
- पिछले साल अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई महातपूर्ण घटनाएं हुईं। वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध, ब्रिटिश सरकार के नेताओं का इस्तीफा, भारतीय मूल का प्रधान मंत्री बनना, कतर में फीफा का भव्य उद्घाटन, मेजबानी और अच्छा प्रबंधन सराहनीय रहा। जिसने पश्चिमी दुनिया को झकझोर कर रख दिया।
- राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं और कई महत्वपूर्ण हस्तियों का निधन भी हुआ। राजनीतिक तौर पर देश के जाने-माने राजनीतिक नेता मुलायम सिंह यादव के निधन से शोक की लहर दौड़ गई- गुजरात में मोरबी पुल हादसा बेहद दर्दनाक था। बाद में गुजरात में चुनाव हुए और इस हादसे के लिए जो पार्टी जिम्मेदार थी, वही वहां पर फिर से सत्ता मे आगई। बिहार में नितेश कुमार ने फिर से RJD को साथ लेकर सत्ता मे आगए- वहीं सीमांचल के मजलिस इत्तेहाद अल-मुस्लिमीन के चार विधायकों का RJD में शामिल होना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा- राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा‘ 2022 के महत्वपूर्ण घटनाओं मे से एक है। इस यात्रा ने पहली बार मीडिया को नफरत और हिंसा को अपना विषय बनाने के लिए मजबूर किया। इस यात्रा से कांग्रेस में नई जान आई, राहुल गांधी और मजबूत होकर उभरे।
- धार्मिक स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण हादसे हुए। मसलन, कर्नाटक की मुस्कान नाम की लड़की का दिलेर अंदाज, पॉपुलर फ्रंट पर पांच साल का बैन, हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों का अलग अलग फैसला लोगों के बीच बहस का विषय बना- फ़िलहाल हिजाब का मामला सुप्रीम कोर्ट में तीन सदस्यीय पीठ के पास भेजा गया है और मुसलमानों की निगाहें न्याय की प्रतीक्षा में टिकी हैं।
- लोकतंत्र का चौथा स्तंभ "मीडिया” हिल गया है। सरकारी चापलूसी में शीर्ष स्थान के लिए चैनल में होड़ मची हैं। कुछ लोग ऐसे भी थे जो निडर होकर अपनी बात रखते थे। पुण्य प्रसून वाजपयी, अजित अंजुम और रविश कुमार का नाम लेया जा सकता है। पुण्य प्रसून वाजपयी और अजित अंजुम पहले ही जा चुके हैं या चैनल से निकाल दिया गया है। रविश कुमार अब तक NDTV से जुड़े हुए थे। लेकिन अडानी के अधिग्रहण के बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है। लोकतांत्रिक स्तंभ को इस तरह ध्वस्त करना हमारे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
आगे आगे देखेए होता है किया!!
खैर! _______ 2023 का धमाकेदार स्वागत करें। और एक निर्धारित कार्यक्रम के साथ अपने समय का सदुपयोग करें। मेरी कामना है कि 2023 आपके लिए खुशियों से भरा हो।